आध्यात्मिक सवाल जवाब [25]
उत्तर- खुदा में चार सिफतें हैं- अव्वल गम खाना यानी बर्दाश्त करना, दूसरे बेशर्मी का पहनना यानी जीवों का बुरा भला करते देखना, तीसरे भक्तों के हृदय में प्रगट होना,चौथे एक पल में कुछ का कुछ कर देना। सो यह सब सिफतें संत और फकीरो में मौजूद होती हैं।
प्रश्न-160. स्वामी जी! यह क्या बात है कि नाम किसी को जल्दी असर करता है किसी को देर मैं और जिसको नाम न खुले उसका उद्धार क्यों कर होगा ?
उत्तर- जैसे बचन अधिकारी को असर करता है अनाधिकारी को असर नहीं करता। ऐसे ही अनाधिकारी जीव पर नाम देर में असर करता है, अगर निश्चय और प्रीत से चरनों में लगा रहेगा तो अंत में अपनी दया से उसको पार कर देंगे। अगर निन्दकों का संग पाकर निन्दक हो जावेगा तो दुनियादारों से भी नीचा दरजा उसको मिलेगा और अपने करम आप भोगेगा और दूसरे जनम का अधिकारी हो जावेगा।
प्रश्न-161. गुरु महाराज मैं बहुत बीमार हूं मैंने तरह तरह के पाप किये हैं और अभी मुझे गाने बहुत मधुर लगते हैं।
उत्तर- वह मालिक बहुत दयालू है, पापी से पापी हो गुनहगार हो कोई भी आ जाय उसकी ओर हमेशा मेहरवान है। चिन्ता न करना जब गुरु नामदान देता है तो जीव के बेशुमार कर्म कट जाते हैं। पर जो लेना देना है वह नहीं कटता। नाम ही धन है रतन है। शब्द धुन को रोज सुनो। मन और सुरत को खूब एकाग्र करके धुन में लगाओ फिर जब रस आयेगा। यहां के गानों जिन्हें तुम मधुर कहते हो कोई रस नहीं। जो गाने ऊपर हो रहे हैं उनमें कितनी मिठास है कितनी ठंडक है वह वर्णन में नही आ सकता। जब भी फुरसत मिले सुमिरन ध्यान भजन जरूर करना।
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Jaigurudev