*जयगुरुदेव*
*प्रेस नोट/ दिनांक 04.09.2021*
जोधपुर, राजस्थान
*"त्रिकालदर्शी महात्माओं की बात को काटना नहीं चाहिए" - बाबा उमाकान्त जी महाराज*
अनेकों प्रकार से जीवों को समय के महापुरुषों के वचनों, इशारों को समझा कर, सभी को भौतिक और आध्यात्मिक लाभ दिलाने वाले इस समय के पूरे,
संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 21 फरवरी 2019 को जोधपुर, राजस्थान में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित संदेश में बताया कि,
एक समय सतयुग में ऐसा था जब लोग एक बार खेत बो करके चले आते थे और जब जरूरत पड़ती थी बादल आकर बरस जाते थे। पकने पर लोग काट कर ले आते थे। एक बार बोते थे और 27 बार काटते थे। सतयुग के प्रमाण में है यह।
*ऐसा ही हो जाएगा, मेहनत नहीं रह जाएगी, निमित्त मात्र के लिए बो देंगे लोग।*
*उस प्रभु की दया से राजस्थान पूरे देश को खिला सकता है।*
आपके यहां राजस्थान में इतनी जमीन पड़ी है, अगर पानी हो जाये तो आपका राजस्थान पूरे भारत को खिला सकता है। *जब उसकी दया हो जाए तो क्या नहीं हो सकता है।*
*पूरे संत के वचन को मानने में ही जीव की भलाई है।*
*संत वचन को काटना नहीं चाहिए।*
एक बार आपके राजस्थान में गुरु जी आए थे, अपने शिष्य के साथ। बहुत पहले की बात है।
तो वहां आक लगा था, कहा कि "देख! कितना बढ़िया आम लगा हुआ है।" चेला बोला आक है, आम नहीं है। बोले "अरे! आम है।" चेला फिर बोला आक है। गुरुजी बोले "कह दे आम है।" तो चेला बोला *ऐसे कैसे आक को आम कह दूं?*
तब थोड़ी दूर और गए तो घास लगी थी। चेले से बोले कि "देख! कितना बढ़िया गेहूं लगा हुआ है।" चेला ने कहा; गुरुजी गेहूं नहीं ये घास है। गुरु जी बोले "कह दे कि गेहूं है" तो चेला बोला *ऐसे कैसे कह दूं कि गेहूं है?*
तब वहां पहुंचे तो शिष्यों में बातचीत होने लगी तो कहा, गुरुजी को पता नहीं आज क्या हो गया? गर्मी लग गई कि क्या हुआ? *आज गुरुजी ऐसा बता रहे थे, कह रहे थे।*
वहाँ कोई साधक था बोला; *अरे! यदि तू उसी समय कह देता कि आम है तो आम ही हो जाता। कह देता कि वह गेहूं है तो गेहूं ही हो जाता।*
अब होगा तो जरूर। संतो की बात गलत नहीं होती। *लेकिन अब कब होगा? ये न तुझको पता है न हमको पता है? लेकिन होगा तो जरूर। परन्तु हम और तुम दोनों नहीं देख पाएंगे।*
*देखो! संत वचन राजस्थान में फलीभूत हुआ।*
देखो! आपके राजस्थान में आम भी हो रहा है और अब देखो गेहूं भी हो रहा है। आपके इधर पानी नहीं था, हो गया। ऐसे ही कब, कहां, क्या हो जाए, किसी को कुछ पता है?
खुश हो जाए तो दे दें और अगर नाराज हो जाए तो छीन लें। जो बनाना भी जानता है, बिगाड़ना भी जानता है। जो बनाना जानता है उसको और भी तरीका है, आगे बनाने का पता है तो उसको खुश रखना जरूरी है।
*मालिक पर विश्वास करो, लोगों को शाकाहारी, नशामुक्त बनाओ।*
अब इस समय तो लोग उसी मालिक को ही भूल गए जो पैदा होने के पहले मां के स्तन में दूध भर देता है, वह परवरिश करता है, लेकिन उसको ही लोग भूल गए। बस! हम नहीं करेंगे तो नहीं होगा। अहंकार में नुकसान कर बैठते हैं।
*अच्छा समय तो आएगा। थोड़ा सा आप लोगों को बताओ - समझाओ, शाकाहारी, सदाचारी, नशा मुक्त लोगों को बनाओ।*
Jaigurudev
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