*जयगुरुदेव*
प्रेस नोट/दिनांक 01.09.2021*
आश्रम दईजर, जोधपुर, राजस्थान
*लोगों को समझा कर सतयुग जैसा वातावरण बनाओ तो सारी तकलीफें - परेशानीयां दूर हो जाएंगी।*
इस घोर कलयुग में लोगों में वैचारिक क्रांति लाकर, प्रेम पूर्वक समझा कर उनके आचार-विचार में परिवर्तन लाकर, सतयुग को ही इस धरा पर अवतरित करने के लिए कटिबद्ध और निरंतर प्रयास रत इस समय के पूरे संत सतगुरु उज्जैन वाले *बाबा उमाकान्त जी महाराज* ने 30 अगस्त 2021 को दईजर आश्रम, जोधपुर, राजस्थान में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम *(jaigurudevukm)* पर प्रसारित सन्देश में बताया कि,
यदि सतयुग को ही इस धरती पर ले आया जाए तो सारी समस्याएं सुलझ जाएगी, सारी तकलीफें दूर हो जाएंगी। लेकिन सतयुग को लाना अकेले के बस का नहीं है। "संघे शक्ति कलियुगे" अर्थात इस कलयुग में संघ में शक्ति है।
आप इतने प्रेमी हो, आप सभी यदि सतयुग का काम करने लग जाओ, सतयुग के योग्य लोगों को बनाने लग जाओ तो सतयुग का वातावरण अपने आप दिखाई पड़ने लग जाएगा।
*अभी यहां इतने लोग शांति से बैठे हो, भाईचारा है, प्रेम है, झगड़ा-तकलीफ नहीं है तो यह सतयुग जैसा वातावरण है।*
*आप लोग यह प्रयास करो कि सतयुग जैसा वातावरण बना दें तो कोई भी तकलीफ - समस्या न रह जाए।*
लोग शाकाहारी हो जाएं। शाकाहारीयों की दिल, दिमाग, बुद्धि अलग होती है और मांसाहारीयों की अलग। तो लोग शाकाहारी, नशामुक्त, ईश्वरवादी हो जाएं।
जरूरी नहीं कि संतमत की साधना हम आपको बताएंगे, करवाएंगे और एक बार में लोग बात मान लें। बहुत दिनों से दादाजी-पिताजी करते रहे तो हम भी वही करेंगे, ऐसी कुछ लोगों की आदत होती है। जैसे सोचते हैं कि खानदान में बलि चढ़ाते रहे, देवता की पूजा करते रहे और देवता खुश होते रहे।
*तो ये बताओ देवता खुश होते रहे या नाराज होते रहे?*
कितनी तकलीफ झेला उन लोगों ने? और अब तुम कितनी झेल रहे हो? लेकिन नहीं मानते। कहते हैं हम तो बलि ही चढ़ाएंगे। लेकिन जब समझ में आ जाता है तो लोग बदल जाते हैं।
बहुत से लोग बदल गए। इसी सतसंग में बैठे हैं, दस दस क्विंटल मछली खा कर के बैठे हैं, हजारों बोतल शराब पी कर के बैठे हैं, इसी (जनसमुदाय) में मिल जाएंगे आपको। जब समझ में आ गया तो छोड़ दिए, बदल गए। कुछ थोड़ा देर में बदलेंगे।
आप जिस भी देवी-देवता को मानते हो, उनके नाम पर हिंसा मत करो। एक बार हमारी यह बात मान लो। उसी देवता की पूजा करो जैसे तुमको तुम्हारे गुरु मिले हैं, बताए हैं, वैसे करते रहो। जो पाठ पढ़ना, पूजा करना, नमाज पढ़ना, जो भी तुम्हें सिखाया। रोजा व्रत जैसे बताया वैसे अगर लोग रहने लग जाएं तो बीमारियां कम हो जाए।
नमाजी यदि लोग बन जाएँ, बच्चों को पढ़ाने-सिखाने लग जाएँ, लोग पूजा-पाठ करने लग जाएँ, सत्संग करने लग जाएँ, जिस किसी भगवान को मानते हो उन्हीं को सही से मानो तो बुद्धि खराब नहीं होगी। कम से कम हिंसा-हत्या की तरफ मन इस शरीर को नहीं ले जाएगा। दूसरे को दुख-तकलीफ देने की तरफ तो मन नहीं ले जाएगा।
*अच्छा भाव तैयार हो जाएगा। अच्छे भाव, विचार, वातावरण लोगों के हों तो वही सतयुग है।*
*आपके ऊपर है कि अपने घर में, आसपास जैसा चाहे वैसा रखो, चाहे कलयुग रखो या सतयुग जैसा रखो।*
यह आप काम कर सकते हो। इसलिए सब लोग मिलकर के यदि अच्छे समय को ले आओ तो प्रेमियों बात बन जाएगी, काम हो जाएगा और नाम भी आपका हो जाएगा।
*परिवर्तन की बेला है, इसमें जो सहयोग करते हैं, उन्हीं का नाम हुआ करता है।*
Guru-murat
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