Satsangi k Kartavya | सतसंगी के कर्तव्य
साधना हमेशा एकांत में करना चाहिए। सुमिरन ध्यान भजन के समय खुद को कपड़े से ढक लेना चाहिए जिससे हमें कोई देख ना सके और बिना किसी परेशानी के हम साधना कर सकें।
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर यानी प्रातःकाल की बेला में, हाथ मुंह धोकर या स्नान करके, सुमिरन ध्यान भजन रोज करना चाहिए, यहां नहाने का कोई खास कारण नही है, केवल सुस्ती ना आयें इसलिए नहाना जरूरी है । अगर आप को सुस्ती नहीं आती है तो आपको नहाने की भी जरूरत नहीं है।
ध्यान भजन में आपको कुछ भी दिखाई सुनाई दे तो आप इसे अपने गुरुदेव के सिवाय किसी को भी ना बतायें। यदि आप किसी को बता देंगे तो आपको दिखाई सुनाई देना बन्द हो सकता है।
अपने सतगुरु जी को हमेशा याद करते रहें, अपने काम को करते हुए, चलते फिरते नाम को रटते रहें।
अपने मन को विकारों से बचाये रखें। पराई स्त्री या पराये पुरुष पर नजर ना डालें। इससे आपकी जीवन भर की साधना नष्ट हो सकती है।
रात को भोजन संयम से करना चाहिए जिससे हमें नींद ना आये और हम रात को भी सुमिरन ध्यान भजन कर सकें।
भोजन हमेशा शाकाहारी और हल्का फुल्का करना चाहिए, जिससे हमारा शरीर बीमारियों से बचा रहे। अगर आप स्वस्थ्य रहेंगे तो साधना भी अच्छे से कर सकेंगे।
अपने परिवार वालों की सेवा करें लेकिन ज्यादा किसी से मोह ना रखें।
अपने बच्चों को भी अच्छे संस्कार दें, सतसंग की जानकारी करायें, सतगुरु के नाम का जाप करायें, क्योंकि बच्चे ही भविष्य की आधार शिला हैं।
आप जो भी काम करें मेहनत और ईमानदारी से करें। शुद्धि और बरकत के लिए कुछ धन परमार्थी कार्यों में जरूर खर्च करें।
हमेशा अपने सतगुरु का शुकराना करते रहें। आपको जो मिल रहा है, या मिलेगा। अपने कर्मों से ही मिलेगा। क्योंकि किये हुए कर्मो का फल सबको मिलता है, चाहे भगवान ही क्यों ना हो। इसलिए अपनी बुद्धि विवेक से काम लें।
रात को सोने के पहले अपने दिन भर के किये पर चिंतन करें। क्या अच्छा बुरा किया, शरीर के साथ साथ अपनी आत्मा के लिए कुछ किया या नहीं।
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