*Anmol Vachan*

जय गुरु देव 
【 *बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा-*  】


★ देश में अच्छे आदमियों की जरूरत अब लोगों को महसूस होने लगी। कुदरत के एक झटके से लोग चिल्ला उठेंगे। तब आपकी जरूरत पडे़गी इसलिए शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त, ईश्वरवादी, भजनानंदी बनो और बनाओ।

★ काल भगवान के इस देश में अपने पाप पुण्य के कर्म कर्जे को महापुरुषों के पास जाकर माफ करा लेना चाहिए और संसारी इच्छा त्यागकर परमार्थी तरक्की मांगना चाहिए।

★ बिना हिंसा, हत्या के अच्छाई लाने में मेहनत और समय तो लगता है परंतु अच्छा काम सदियों के लिए लाभकारी हो जाता है।

★ तन, मन, धन और आत्मिक सेवा का महत्व है परंतु सेवा में स्वार्थ की बदबू नहीं होनी चाहिए।

★ अब इस समय पर केवल तिलक लगाने, कंठी बांधने, उपवास करने, गंगा स्नान करने, रोजा रहने, ग्रंथ का पाठ करने से न तो मुक्ति मोक्ष मिल सकता है न भगवान की प्राप्ति हो सकती है।
इस समय पर तो सुरत शब्द योग की साधना से ही आत्म कल्याण किया जा सकता है।

★ पाप पुण्य करने और इन दोनों को नष्ट करके त्रिय ताप से मुक्त होकर प्रभु के पास बराबर आने जाने वाले सच्चे गुरु की खोज करो, आपका काम बना देंगे।

★ मनुष्य का मन कंट्रोल से बाहर होकर गलत कामों में लग गया। उसे सही करने का तरीका केवल सन्तों के पास होता है।

★ शारिरिक, पारिवारिक व सामाजिक कार्य करते हुए आप लक्ष्य परमार्थ का बनाओ।


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*तीन बातों को याद रखो-* 

1. मरना जरूर है।
2. अवसर जा रहा है यह फिर नहीं मिलेगा। इस अवसर को बेकार मत गंवाओ।
3.  परमात्मा का नाम तुम्हारे पास है इसे पकड़ो। भजन द्वारा तकलीफ टाली जा सकती है।
अगर युक्ति नहीं मालूम तो महात्माओं के पास आओ। जिसकी आत्मा जागी हुयी है वह तुमको भी जगा देगा। जब जब महात्मा संसार में आते हैं, खुद परमात्मा को प्राप्त करते हैं और दूसरों को भी कराते हैं। 
जिस काम के लिए आये हो अगर उसे शुरु कर दिया तो एक न एक दिन मंजिल तक जरूर पहुंच जाओगे। 
समर्थ को पाकर भी अगर अपने को नाम से न जोड़ सके तो बड़े अफसोस की बात है। आत्मा को नाम ध्वनि से जोड़ना सबसे बड़ा परमार्थ है।



_-- सन्त उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन_


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Jaigurudev