*Aap Bhi Jano* geeta ka gyan

युद्ध जीतकर पांडव खुशी हुए अपार l
इंद्रप्रस्थ की गद्दी पर युधिष्ठिर की सरकारll


एक दिन अर्जुन पूछता सुनो कृष्ण भगवान l
एक बार फिर सुना दीयों हो निर्मल गीता ज्ञान ll

घमासान युद्ध के कारण भूल पड़ी है मोहे l
ज्यों का त्यों कहना भगवन तनिक ना अंतर होए l
l

ऋषि मुनि और देवता सबको रहे तुम खाए l
इनको भी नहीं छोड़ा आपने रहे तुम्हारा ही गुण गाए ll

कृष्ण बोले अर्जुन से यह गलती क्यों कीन्ह l
ऐसे निर्मल ज्ञान को भूल गया बुद्धि हीन ll

अब मुझे भी कुछ याद नहीं भूल पड़ी निदान l
ज्यों का त्यों उस गीता का मैं नहीं कर सकता गुणगान ll

स्वयं श्री कृष्ण को याद नहीं और अर्जुन को धमकावे l
बुद्धि काल के हाथ है चाहे त्रिलोकीनाथ कहलावे ll

ज्ञान हीन प्रचार का ज्ञान कथे दिन रात l
जो सर्व को खाने वाला उसी की कहे बात ll

सब कहे भगवान कृपालु है कृपा करें दयाल l
जिसकी सब पूजा करें वह स्वयं कहे मैं काल ll

मारे खावे सबको वह कैसा कृपाल l
कुत्ते गधे सुअर बनावे है फिर भी दीनदयाल ll

बाईबिल वेद कुरान है जैसे चंद्र प्रकाश l
सूरज ज्ञान कबीर का करे तिमिर का नाश ll

*जयगुरुदेव सांची कहे करो विवेक विचार*

sant umakantji maharaj


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