जयगुरुदेव अमृतवाणी


【 *स्वामी जी ने कहा* 】



◆  रावण यदि पहले मर जाता तो इतिहास कैसे बनता ? पहले एक रावण था, अब तो घर घर में रावण हैं, जहां भी रावण होगा वह मारा जायेगा।

◆  तुम अपने कर्मोे को गुरु पर छोड़ दो, गुरु को समर्पित कर दो फिर तुम्हारा भार हल्का हो जाएगा । 
     - इन्दौर 1970

◆  गुरु से स्पर्श की हुई वस्तु से स्पर्श कराकर भोजन ग्रहण किया करो तो भोग लग जाता है और वह स्वीकार हो जाता है। 
    - इन्दौर 1970

◆  जयगुरुदेव नाम से तुम्हारा स्वभाव बदल जाएगा, पाप नाश हो जाएगा जयगुरुदेव नाम उस अनामी महापुरुष का है जो सबका सिरजनहार है।

◆  जब मैं भजन करता था, तो मेरे स्वामी जी महाराज ने मुझे ये समझाया कि भजन करना तो कभी ये इच्छा लेकर मत बैठना कि कोई  आकर तुम्हे रोटी दे जाय। तुम जाकर किसी भी गृहस्थ से एक रोटी मांगना, उसे खाकर भजन करना।

◆  मैं जब कहीं भजन के लिए निकल जाता तो आस पास के घर से  एक रोटी मांगता। मातायें जान गईं थीं तो मेरे लिए रोटी बनाकर रखती और जब मैं हफ्ते में जाता तो मुझे दे देतीं। सात दिन तक सात रोटियां खाता। जब सूख जाती थीं तो पानी में भिगो लेता था। 

फिर जब रोटी मांगने जाता तो मातायें कहतीं कि हमने तुम्हारे लिए गरम रोटी बनाकर रक्खी थी तुम आये क्यों नहीं ? मैं उनको जवाब दे देता कि गरम और क्या ठण्ढी ? मैं अपना काम ऐसे ही चला लेता हूं। भजन सूखी रोटी खाकर ही होता है पूड़ी हलवा खाकर नहीं। तुम्हे भजन करना है तो सूखी रोटी खाओ और भजन करो। खाली खाना सोना है तो जैसे जी चाहे खाओ और सोवो।

(शाकाहारी पत्रिका 28 से 6 सित. 2013)


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★  हमारे गुरु महाराज कहा करते थे कि अगर तुम छः महिने सूखी रोटी खा लो तो पेट की सभी बीमारी खतम हो जाएंगी।

★  भारी परेशानियां तकलीफें आने वाली हैं। फकीरों महात्माओं ने रोक रक्खा है वर्ना जलजला आने में क्या देर लगती है ?
   - 16 मार्च 2006

★  चाहे हजरत निजामुद्दीन औलिया हों या रैदास जी हों या गोस्वामी जी हों, चाहे और कोई महात्मा हो उन सबको दुनिया वालों ने बहुत तकलीफ दिया। बादशाह ने फकीर निजामुद्दीन औलिया से कहा कि तुम आश्रम छोड़ दो वर्ना तुम्हें फांसी दे दी जाएगी। औलिया साहब चुप रहे। 
बादशाह लड़ाई में गया सैनिकों के साथ और उसकी जंग में जीत हुई। जब वो वापिस लौट रहा था तो गाजियाबाद और दिल्ली के नाके पर जश्न मनाने बहुत बड़ा मंच तैयार किया गया। बादशाह जब उस मंच पर चढ़ा तो वह गिर गया और उसका सर फट गया और आखिर में उसकी मौत हुई। 
*फकीरों से टकराना नहीं चाहिए। वो तो चुप हो जाते हैं मगर कुदरत माफ नहीं करती और सजा दे देती है।*

(शाकाहारी पत्रिका 7 से 13 जुलाई 2013)
shakahari patrika 13 july
जयगुरुदेव |

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2 टिप्पणियाँ

  1. यह कंटेंट बहुत ही सराहनीय है तथा इंटरनेट पर लोगों को आकर्षित करेगा वेबसाइट एडमिन को बहुत-बहुत धन्यवाद यूज़फुल कंटेंट रीड और शेयर करने योग्य है Jai Guru Dev Naam Kiska और अधिक जैसे कि सतयुग भारत में स्थापित होगा। Satyug Aagman पर बाबाजी आपके कंटेंट में दिया गया शब्द बहुत ही सराहनीय है जो एक विजिटर को बहुत हेल्प कर सकता है
    Baba Jai Guru Dev Uddeshya In Hindi-बाबाजी का उद्देश्य परमात्मा की कृपा सब पर बनी रहे

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Jaigurudev