जयगुरुदेव | आप - बीती (Post 3)

【 बदमाशों  से  मुलाकात 】
10. Badmasho se mulakat

घटना 22 जनवरी 2002 की है। स्वामीजी महाराज के आदेशानुसार मैं मथुरा से अपने गांव सहबाजपुर गया था जो फतेहपुर जिला में पड़ता है।
इस जिले में कई नदियों का संगम है जैसे गंगा, जमुना, पाण्डु, रिन्द आदि। 

कुछ हिस्सा पहाड़ी भी है। सभी राजनीतिक पार्टीयों का यहां जमघट है। इस क्षैत्र का इस बात से ही अन्दाज लगाया जा सकता है कि अगर किसी ने दूसरे की आंख निकाल ली और वो आदमी थाने में रिपोर्ट करने अगर पहुंच गया तो उसे लोग गिरा हुआ इंसान समझते हैं। 
अगर बदले में वो दुश्मन की दोनों आंख निकाल ले तो उसको शेर समझा जाता है। ऐसा कत्ली माहौल है उस इलाके का । 

स्वामी जी का सन्देश लेकर मैं जब घर पहुंचा तो उसी समय से प्रचार अभियान में लग गया। प्रचार गाड़ी में हम 7-8 लोग चल रहे थे। 
गांवों के बारे में, संवेदनशील इलाकों के बारे में, मुझे तो सबकुछ मालूम था।

स्वामीजी महाराज का नाम लेकर निर्भयतापूर्वक हम सभी बीहड़ इलाकों में सन्देश सुनाने के लिए पंहुच जाते थे। कौशाम्बी जिले का एक लड़का बबलू सन्देश सुनाता था और मैं चारों तरफ कमाण्डों की तरह निगरानी करता रहता था। गाड़ी को मैं स्वयं चलाता था। 

एक दिन की बात है हम लोग बिन्दकी कार्यालय से उत्तम नगर को गये थे जो गंगा के किनारे पड़ता है। कई गांवों के लोग इकट्ठे थे। उत्तमनगर जी.टी. रोड से 15 कि.मी. हटकर बीहड़ जंगल में पड़ता है।

कार्यक्रम समाप्त होने पर बहुत से लोग चले गये और कुछ रह गये।
भोजन का प्रबन्ध सत्संगियों ने किया था कि इतने में गन्ने के खेत में से कुछ लोग निकलकर एकाएक सामने आ गये। सबके पास हथियार थे। 
एक व्यक्ति उनमें से कड़क कर  पूछा कि यह गाड़ी कहां जायेगी?
उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। 

वह फिर बोला कि इस गाड़ी का ड्राईवर कौन है ? इतने में मैं सामने आ गया और कहा कि मैं ड्राईवर हूं बोलो क्या बात है?
तुम्हीं हो ड्राईवर ? वह ऊंची आवाज में बोला। 
हाँ!  मैने भी उसकी बात का जवाब दिया। 
वह कहने लगा कि हम लोग भी जायेंगे। 
मैंने कहा कि गाड़ी फुल है जगह नही है। 
जरा गुस्से में उसने पूछा कि हमारे बगैर गाड़ी चली जायेगी ? 
मेरे मुंह से निकल गया कि ‘गजब कर दिया’।
वह चौंक पड़ा। 

शायद उसको इस प्रकार के उत्तर की उम्मीद नहीं थी।  
उसने फिर पूछा कि क्या कहा ?
मैंने उसी टोन में कहा किः तुमने गजब कर दिया। 
बात बड़ते देखकर उसका सरदार उससे बोला कि तुम इधर आ जाओ। 
फिर वो अपने सरदार के समीप चला गया। 
सरदार के पास असलहा अलग किस्म का था और वो शराब नहीं पिये था। 

सरदार शराब पीकर नहीं निकलता है यह बात मुझे मालूम थी।
वह अपने अड्डे पर ही पीता है। सरदार ने कहा कि इनको जाने दो।
जब मैंने गाड़ी स्टार्ट की तो दूसरा आदमी बोला कि कहां जा रहे हो ? 
वह भी शराब पिये था। 
मैंने गाड़ी रोक दी। 
फिर सरदार गाड़ी के नजदीक आया। 

हम भी नीचे उतर आए।
सरदार ने मुझसे कहा कि हम लोगों को भी लेते चलो, हमने कहा कि चलो आप लोगों को छोड़कर हम वापस आ जायेंगे।
फिर वो बोला कि हम सब साथ चलेंगे। 
एक आदमी ने अपने सरदार से कहा कि आप ही अकेले चले जाओ अगर गाड़ी में जगह नहीं है तो।

सरदार ने कहा कि हम अकेले नही जायेंगे। 
फिर वो बोला कि आप अकेले चलिए हम सब लोग पीछे पीछे आते हैं। 
सरदार ने उसकी बात स्वीकार नहीं की और कहा कि हम लोग साथ चलेंगे इनको जाने दो।
मैंने चलते वक्त उन लोगों से कहा कि जो आप हैं वह हम भी हैं, मगर हमने ये सब छोड़ दिया है। फिर मैंने अपनी गाड़ी आगे बढा दी।

- रज्जन दुबे (सहबाजपुर फतेहपुर)
( शाकाहारी पत्रिका 21 से 27 अप्रेल )

शेष क्रमशः अगली पोस्ट 4 में पढ़ें ...👇
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