गौ माता की महिमा (1)
जब से इसका सम्बन्ध मनुष्य से जुड़ा है तबसे यह कृषि, धर्म, आयुर्वेद तथा अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ अंग के रूप में जानी जाती है।
धर्मग्रन्थों में इसकी अवर्णनीय महिमा का वर्णन है। इसके प्रत्येक अंगों मे देवी देवताओं का निवास माना जाता है और इसे खोलते रक्त, पीव और मांस से भरी नरक की अपार नदी वैतरणी से उबारने वाली मानने की परम्परा है।
हिन्दु समाज में गोदान, गो दक्षिणा की परिकल्पना इसी को लेकर है।
पूजन विधानों में पंचामृतों में अधिकांश गोरस ही है।
‘‘गावः में अग्रतः सन्तु गावः सन्तु पृष्ठतः
(गाय मेरे आगे भी हो और पीछे भी हो)
किसी भी धर्म मजहब या देश की मां हो, अपने दूध के अभाव में बच्चों को अत्याधिक पुष्ट एवं स्वस्थ रखने के लिए उत्तम दूध हेतु गाय की ओर ही याचक भाव से देखती है।
शान की सवारी बैलगाड़ी आज भी बैल के पैरों से ही चल कर खेती के सामान घर तथा खेतों तक पहुंचाती है।
लोग कहते हैं कि शंकर जी ने अपनी सवारी भी इसी को चुना। इसे धर्म का मार्गी बतलाया। गाय ऐसे धर्म मार्गी की जननी है। यह बुढ़ापे में भी हितकारी स्वभाव को नहीं छोड़ती। उस समय भी अपने गौमूत्र और गोबर से यह हमारे लिए ईंधन, औषध एवं खेतों के लिए उत्तम खाद प्रदान करती है।
अगर ऐसा नहीं किया और बदस्तूर गाय को कसाई के हवाले करते रहे, तो निश्चय जानिये अपनी इस कृतघ्नता के कारण हमसे मनुष्य जाति की पहचान मिट जाएगी।
मनुष्य चाहे किसी भी जाति, धर्म, कौम या मजहब का हो, निष्ठावानों ने कभी इन्हें तरजीह नहीं दी और वक्त आने पर अपने उपकार करने वालों को सम्मान और उनकी रक्षा के लिए प्राण तक न्योछावार करने के लिए तैयार रहे।
इसी कारण मानव के स्वभाव इस योनि में हद तक आ जाते हैं। मार दिए जाने पर बची हुई स्वांसो को पूरी करने के लिए इन्हें प्रेतयोनि में भटकना पड़ता है, और ये वधिकों, बेचने, खाने एवं बनाने वालों परोसने वालों, सबको परेशान करते हैं।
आगे ये उन्हीं के घर चिड़चिड़े एवं क्रूर संतान बनकर आते हैं और पूरे परिवार का जीवन नरक दोजख बना डालते हैं।
यह मानें न मानें, आपकी मर्जी, परन्तु कुदरत तो कर्मों का हिसाब करने में कोई जाति, धर्म, मजहब, पंथ या देेेश नहीं देखती।
गो ज्ञान, सादगी, सरलता, अहिंसा और लोक हित का प्रतीक है। अतः उसकी रक्षा के लिए वैसे ही विवेक पूर्ण प्रयास की जरुरत है, और अहिंसक जन जागरण से ही संभव है।
कोई हड़ताल, आन्दोलन करने की जरुरत नहीं है। जितने गो हत्या के खिलाफ आन्दोलन करने वाले लोग हैं, आपसे मेरी ये प्रार्थना है कि कोई हड़ताल, तोड़फोड़, आन्दोलन मत करो। आप सरकार से प्रार्थना करो कि एक लाईन का कानून ये बना दें किः
‘‘गाय एक राष्ट्रीय पशु है।’’ एक गौ हत्या नहीं होगी। अगर ये कानून नहीं बनाएंगे तो कोई और बना देगा, वह समय आएगा। यह धर्म धरती है। इसकी आवाज पंहुचेगी। यह भक्तों की आवाज है।
गाय बने राष्ट्रीय पशु करो जतन इस बार।
शाकाहारी सभी बनें सब रोगों से हो मुक्ति,
मंत्री अफसर सब मिलकर सरकार को दें यह युक्ति।
यह प्यारी गो माता करती जन का उपकार।
राष्ट्रीय पशु बनने का इसको सच्चा अधिकार।।’’
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Jaigurudev