शाकाहारी प्रचार अभियान आदि मे बोले जाने वाली- जयगुरुदेव जन जागरण चेतावनी (post no. 2.)

*जयगुरुदेव चेतावनी ५.*
Badali hindustan to
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बदली हिन्दुस्तान तो बदली जाई दुनिया,
बदली हिन्दुस्तान तो बदली जाई दुनिया। 

कोई न विधर्मी होगा, नाही व्यभिचारी,
होई जाई सफाई नाही रहि हैं अत्याचारी।
देशवा मे होई सदाचार के उत्थान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....

छोटे बड़े लोग जितने पद अधिकारी,
मांस मछली, अण्डा छोड़ि होंगे शाकाहारी,
अण्डा मछली, मांस कै न रहिहैं अब दुकान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....

कोई न शराब पियी, गांजा या अफिमियाँ,
कौनू न नशीली चीज कै मिली हैं दुकनियाँ,
अबके शिव न पीहें न पियई हैं गांजा-भांग हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....

कौनउ न हड़ताल, न आंदोलन कोई होई,
देश कै सम्पत्ति अपनी मानी सब कोई,
राष्ट्रभक्ति जागी, होगा देश यह महान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....

दया धर्म मानवधर्म, धर्म सबका होई,
गाय, पशु, पक्षी का न बध करी कोई,
ऐसा होगा राज, तब होई जाई कल्याण हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....

राष्ट्रभाषा संस्कृत, हिन्दी सब कोई बोली,
क्षेत्रीय भाषायें होंगी हिन्दी की सहेली,
हिन्दी और संस्कृत मे बनि जईहैं अब विधान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....बदली जाई दुनिया।।


*चेतावनी ६.*
Bade ve bhagyashali hai
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बड़े वे भाग्यशाली हैं जिन्हें गुरु याद करते हैं।
नहीं कम भाग्यशाली वे जो उनसे प्यार करते हैं ।।

मैहर की दृष्टि सतगुरु इन्हीं मैं हो बरसाते हैं ।
गुरु दर्शन का फल इन प्रेमियों से भी मिलने में ।।

पियासे एक चिल्लू जल से जो नित प्यासे रहते हैं ।
जो प्रेमी नित गुरु दर्शन के हित हैं तरसते रहते ।।

यह मिलते जब उन्हें तो मौज गुरु कि वह समझते हैं ।।

वे इनके द्वारा गुरु संदेश पाकर के हरषते हैं ।
मैं इनकी सेवा में आनंद गुरु सेवा की करते हैं ।।

दयालु सतगुरु उन प्रेमियों को नित्य भेजते रहना ।
जो दृढ़ भक्ति के रंग में प्रेमियों को नित रंगते हैं।।


*चेतावनी ७.*
Bela amrat (amrit )gaya
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बेला अमृत गया, आलसी सो रहा, बन अभागा|
साथी सारे जगे, तू न जागा||

झोलियाँ भर रहे भाग वाले,
लाख पतितों ने जीवन संभाले,
रंक राजा बने, प्रभु रस में सने,
कष्ट भागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||

प्रभु कृपा से नर तन यह पाया,
आलसी बन के यूँ ही गवाया,
उलटी हो गयी मति, कर ली अपनी छति,
चोला त्यागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||

स्वांसा एक एक अनमोल बीता,
अमृत के बदले विष को तू पीता,
सौदा घाटे का कर, हाथ माथे पे धर,
रोने लागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||

मानव कुछ भी न तूने विचारा,
सिर से ऋषियों का ऋण न उतारा,
गुरु का गुण न लिया, गन्दा पानी पिया,
बन के कागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||


*चेतावनी ८.*
Bhajan bina nadan
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भजन बिना नादान उमर खो दई सारी ।

भजन किया नहीं राम नाम का,
दास बना रहा सदा काम का।
रे मूरख अज्ञान- उमर खो दई सारी।।

कबहूँ न सन्त शरण मे आया
ना कबहुँ हरी का गुण  गाया ।
नाम धरा इन्सान  उमर खो दई सारी ।।

झूठे जगत की  झूठी माया
इसमे मूरख क्यों भरमाया ।
छोड चला रे जहान उमर खोई दई सारी।।

तेरे पल्ले हीरे मोती,
मेरे मन मन्दीर मे ज्योति ।
तेरी मेरी करता डोले
साच कहु तो ऊल्टा बोले ।
कर कर मान गुमान उमर खो दई  सारी।।

कहे सतगुरु मुश्किल अटकेगी
जब यम को फांसी खटकेगी।
कर उस दिन का सम्मान
उमर खो दई सारी ।।


*चेतावनी ९.*
Bhajan gurudev ka karle
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भजन गुरुदेव का करले, उमरिया बीत जायेगी।
न दुनिया साथ जाएगी, न दौलत काम आएगी||

लगा चौरासी का चक्कर,
मिला मुश्किल से ये नर तन|
तू भक्ति कर गुरु जी की,
जो तेरे काम आएगी||

ये बचपन खेल में बीता,
तो फिर क्या हाथ आएगा|
ये बचपन की गई सांसे,
क्या तेरी लौट आएगी||

जवानी मौज मस्ती में अगर,
बीती तो क्या पाया|
जवानी भी गई तेरी,
क्या वापिस लौट आएगी||

अगर ये मोह ममता भी,
बुढ़ापे में नहीं त्यागी|
याद करले तू उस दिन की,
जब तेरी मौत आयेगी||

कमाई नाम की करले,
गुरूजी की शरण ले तू|
बंधी जो कर्म की रस्सी,
वो तेरी टूट जाएगी||

शेष क्रमशः पोस्ट 3. में पढ़ें ...

●●● जयगुरुदेव●●●

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