शाकाहारी प्रचार अभियान आदि मे बोले जाने वाली- जयगुरुदेव जन जागरण चेतावनी (post no. 2.)
होई जाई सफाई नाही रहि हैं अत्याचारी।
देशवा मे होई सदाचार के उत्थान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....
मांस मछली, अण्डा छोड़ि होंगे शाकाहारी,
अण्डा मछली, मांस कै न रहिहैं अब दुकान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....
कौनू न नशीली चीज कै मिली हैं दुकनियाँ,
अबके शिव न पीहें न पियई हैं गांजा-भांग हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....
देश कै सम्पत्ति अपनी मानी सब कोई,
राष्ट्रभक्ति जागी, होगा देश यह महान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....
गाय, पशु, पक्षी का न बध करी कोई,
ऐसा होगा राज, तब होई जाई कल्याण हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....
क्षेत्रीय भाषायें होंगी हिन्दी की सहेली,
हिन्दी और संस्कृत मे बनि जईहैं अब विधान हो।
बदली हिन्दुस्तान तो....बदली जाई दुनिया।।
*चेतावनी ६.*
बड़े वे भाग्यशाली हैं जिन्हें गुरु याद करते हैं।
नहीं कम भाग्यशाली वे जो उनसे प्यार करते हैं ।।
गुरु दर्शन का फल इन प्रेमियों से भी मिलने में ।।
जो प्रेमी नित गुरु दर्शन के हित हैं तरसते रहते ।।
यह मिलते जब उन्हें तो मौज गुरु कि वह समझते हैं ।।
मैं इनकी सेवा में आनंद गुरु सेवा की करते हैं ।।
जो दृढ़ भक्ति के रंग में प्रेमियों को नित रंगते हैं।।
साथी सारे जगे, तू न जागा||
लाख पतितों ने जीवन संभाले,
रंक राजा बने, प्रभु रस में सने,
कष्ट भागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||
आलसी बन के यूँ ही गवाया,
उलटी हो गयी मति, कर ली अपनी छति,
चोला त्यागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||
अमृत के बदले विष को तू पीता,
सौदा घाटे का कर, हाथ माथे पे धर,
रोने लागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||
सिर से ऋषियों का ऋण न उतारा,
गुरु का गुण न लिया, गन्दा पानी पिया,
बन के कागा| साथी सारे जगे, तू न जागा||
दास बना रहा सदा काम का।
रे मूरख अज्ञान- उमर खो दई सारी।।
ना कबहुँ हरी का गुण गाया ।
इसमे मूरख क्यों भरमाया ।
छोड चला रे जहान उमर खोई दई सारी।।
मेरे मन मन्दीर मे ज्योति ।
तेरी मेरी करता डोले
साच कहु तो ऊल्टा बोले ।
जब यम को फांसी खटकेगी।
कर उस दिन का सम्मान
उमर खो दई सारी ।।
न दुनिया साथ जाएगी, न दौलत काम आएगी||
मिला मुश्किल से ये नर तन|
तू भक्ति कर गुरु जी की,
जो तेरे काम आएगी||
तो फिर क्या हाथ आएगा|
ये बचपन की गई सांसे,
क्या तेरी लौट आएगी||
बीती तो क्या पाया|
जवानी भी गई तेरी,
क्या वापिस लौट आएगी||
बुढ़ापे में नहीं त्यागी|
याद करले तू उस दिन की,
जब तेरी मौत आयेगी||
गुरूजी की शरण ले तू|
बंधी जो कर्म की रस्सी,
वो तेरी टूट जाएगी||
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Jaigurudev